राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन (एन.एम.एच.एस)
क्रियांन्वयन- पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार
नोडल एवं सेवा केन्द्र- जी.बी. पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान

हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र



हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र

भारतीय हिमालयी क्षेत्र, भारतीय उपमहाद्वीप का एक महत्वपूर्ण भू-भाग है। क्योंकि इस क्षेत्र में सुंदर प्राकृतिक क्षेत्रों, प्रजातियो, जनसंख्या, समुदायों, पारिस्थितिक तंत्र व समृद्ध नस्लीय विविधता समाई है। हिमालय क्षेत्र में जैव विविधता और अनूठी विशिष्टता तथा प्रतिनिधित्व करने की शक्ति ने विश्व के लोगों का ध्यान इस ओर आकर्षित किया है। भारतीय हिमालयी क्षेत्र विश्व स्तर पर मान्य हिमालीय जैव विविधता विशिष्ठ क्षेत्र का एक बड़ा भाग भी बनाता है। हालांकि इन क्षेत्रों को सर्वाधिक जलवायु परिवर्तन की दृष्टि से संवेदनशील पारिस्थितिक तंत्र के रूप में जाना जाता है। इस विशिष्ट पारिस्थितिक तंत्र की प्राकृतिक विशेषताओं पर लगातार मानवीय दबाव बढ़ रहे हैं अर्थात यह क्षेत्र मानवीय उपभोग का शिकार हो रहे हैं। हिमालयी प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण की चुनौतियों और बढ़ती जिम्मेदारियों को समझते हुए, विश्व स्तर और देश स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। इस सम्बंध में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन द्वारा सभी हिमालयी राज्यों में आधुनिक हिम प्रकृति अध्ययन केंद्रों की स्थापना की परिकल्पना पर काम कर रहा है। यह केंद्र जहां विश्वसनीय व प्रमाणिक सूचनओं का प्रमुख केंद्र बनेगा तथा यहां ज्ञान उत्पादों का विकास कर बाह्य पकड़ को भी बढ़ावा देंगे। जो बाद में राज्य , राष्ट्र व वैश्विक स्तर पर नीतियों को पोषित करने का काम करेंगे। वर्तमान में राष्ट्रीय हिमालयी अध्ययन मिशन ने पांच भारतीय हिमालयी राज्यों हिमांचल प्रदेश, असम, मणिपुर, त्रिपुरा और नागालैण्ड में 5 हिम प्रकृति अध्ययन केंद्रों की स्थापना कर दी है। राज्य के सम्बंधित विभागों द्वारा इनका समन्वय और संचालन किया जा रहा है।

समग्र उद्ददेश्य

वनस्पति उद्यानों एवं प्रकृति अध्ययन केंद्रों के स्पष्ट प्रारूपों का विकास और उनको अद्यतन करते हुए उन्हें विविधिता प्रदान करना।
सक्रीय ईको डब्लपमेंट कमेटी/संयुक्त वन प्रबंधन कमेटियों में से इच्छुक एवं प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर उपयोगिता समूहों को सतत् आजीविका हेतु प्रशिक्षण करना ।
परियोजना काल के बाद भी प्रकृति अध्ययन केंद्रों के स्थायी संचालन हेतु क्षेत्र के इच्छुक लोगों के समूहों के स्थायी कर्मचारियों के बीच प्रशिक्षकों की एक टीम का विकास करना।
राज्य की प्राथमिकताओं को रेखांकित करने वाले संरक्षण कार्यक्रमों का एक सदृढ़ संविभाग की स्थापना करना।
चिड़ियाघरों में आने वालों के अनुभवों और जंतु विज्ञान क्षेत्र के बीच एक सदृढ़ तालमेल बनाना।
एक व्यापक एवं पारदर्शी अनुपालन तथा जोखिम प्रबंधन ढांचा विकसित करना।
जैव विविधता और प्राकृतिक संसाधनों पर संरक्षण जागरूकता और संवेदीकरण को विकसित करना और बढ़ावा देना।
विभिन्न स्तरों पर संरक्षण कार्यों और क्षमता निर्माण में आगे रहने वाले विभिन्न हितधारकों के बीच प्रशिक्षकों का एक कैडर बनाना।
आजीविका संवर्धन हेतु आद्र भूमि संसाधनों की सहभागिता संरक्षण कार्यों और प्रबंधन को बढ़ावा देना।
स्थानीय, दुर्लभ, संकटग्रस्त एवं लुप्तप्राय प्रजातियों के संरक्षण को बढ़ावा देना।
वैकल्पिक आजीविका क्षमताओं का विकास करते हुए वन संसाधनों पर दबाव कम करने के लिए एवं उनका कुशल प्रबंधन एवं उपयोग करवाना।

संचालित परियोजनाएंः- 05 (मध्यम अनुदान-5 )

1 हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र हिमांचल प्रदेश
2 हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र असम
3 हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र त्रिपुरा
4 हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र मणिपुर
5 हिम -प्रकृति अध्ययन केंद्र नागालैण्ड

2020 तक मापकीय लक्ष्य

विभिन्न हितधारक समूहों हेतु प्रकृति आधारित शिक्षा पर अंत क्षेत्रीय प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के लिए अत्याधुनिक केंद्र।
विभिन्न हितधारकों की जरूरतों पर आधारित हिमालय जैव विविधता संरक्षण और प्रबंधन के विभिन्न विषयों पर उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल प्रकृति अध्ययन केंद्र की स्थापना।
जैव संसाधनों के सतत् प्रबंधन हेतु राज्य आधारित आवश्यकताओं के आधार पर प्रशिक्षण, प्रदर्शन और प्रसार सामग्री (डिजिटल एवं एनालॉग )का निर्माण।
क्षेत्रों, राज्यों व देश व दुनियां में कही स्थापित प्रकृति अध्ययन केंद्रों से सूचनाओं के आदान प्रदान की सुविधा।
प्रतिनिधि उप उष्णकटिबंधीय, समशीतोष्ण और उच्च संवेदनशील पुष्प तथा जंतु प्रजातियों (दुर्लभ, संकटग्रस्त, मूल्यवान एवं लुप्तप्राय) का प्राकृतिक अवस्था में पूर्व संरक्षण।


संपूर्ण निगरानी सूचक

प्रकृति अध्ययन हेतु विकसित किए गए जागरूकता पाठ्यक्रमों की संख्या।
आच्छादित विशेश प्रकृति अध्ययन एवं जागरूकता बिंदुओं की संख्या
प्रत्येक क्षेत्र में लाभान्वित हितधारकों की संख्या, प्रतिभागियों के साथ आयोजित प्रशिक्षणों की संख्या।
प्रचार और जारूकता प्रकाशकों की संख्या ( संक्षिप्त/विस्तृत) वितरित।
क्षेत्रीय/हरित तकनीक प्रदर्शन/आयोजित एक्सपोजर विजिट कार्यक्रमों की संख्या।
प्रकाशित आंकलन एवं निष्कर्ष रिपोर्टों की संख्या।
लाभान्वित की संख्या।
स्थापित सहयोग/संरक्षित क्षेत्रों के साथ जुड़ाव/अभ्यारणय/ संरक्षित क्षेत्रों की संख्या।
नीतिगत दिशानिर्देशनों व विधायी गतिविधियों की संख्या। तैयार /अथवा संचारित।

प्रदेय

अद्यतन प्रकृति अध्ययन केंद्रों की स्थापना।
प्रकृति अध्ययन केंद्रों एवं उचित जरूरतों के अनुरूप वनस्पति उद्यानों का रखरखाव एवं विकास।
परियोजना लक्ष्यों एवं उद्देश्य प्राप्ति हेतु प्रासंगिक बुनियादी ढांचों का विकास।
पर्यावरण संरक्षण हेतु प्रतिक्रिया देने वाले पर्यावरणीय शिक्षा से लैस समाज का विकास।
युवा आगंतुकों, स्कूली बच्चों, योजनाकारों, प्रशासकों, वैज्ञानिकों और स्वैच्छिक संगठनों व विधायिका को लाभ पहुंचाना।
शिक्षकों, प्रकृति संरक्षकों, स्वयं सहायता समूहों, संयुक्त वन प्रबंधन समितियों, जैव विविधता संरक्षण समितियें आदि के लिए अंग्रेजी एवं स्थानीय भाशा में सरल शैक्षिक प्रारूप एवं ज्ञान उत्पाद।
समुदाय सदस्यों, जैव विविधता प्रबंधन अधिकारियों, सरकारी अधिकारियों, महिला स्वयं सहायता समूहों का क्षमता विकास प्रशिक्षण।
प्रकृति एवं जैव विविधता संरक्षण पर ज्ञान का प्रसार एवं जागरूकता कार्यक्रम।
क्षेत्रीय व स्थानीय जैव विविधता पर शैक्षिक संस्थानों के छात्रों हेतु संवेदनशीलता कार्यक्रम और संरक्षण संघ।
आजीविका उत्पादन हेतु एक आर्द्रभूमि में संसाधनों का सहभागी संरक्षण एवं प्रबंधन।
उपलब्धियां आज तक...